हर राह को मै चाहू, हर मंजिल मुझको भाती है
मेरी कोई दिशा नहीं, सिर्फ हवा मुझे बहलाती है
मेरी कोई दिशा नहीं, सिर्फ हवा मुझे बहलाती है
प्रवाह जिधर भी तेज हुआ ,ते उधर निकल लेता हु मै
मांग जिधर भी तेज हुई, ते उधर खिसक लेता हु मै
मेरी आँखों के सपने हर पल पल पल पल बदले है
मेरे खवाबो के परिंदे ,आसमान में भटके हे
जाने की कोई राह नहीं ,बस आस लगाए बैठे हे
मन की बत्ती को बजाए ,जुगनू पे तो तरसे हे
मांग जिधर भी तेज हुई, ते उधर खिसक लेता हु मै
मेरी आँखों के सपने हर पल पल पल पल बदले है
मेरे खवाबो के परिंदे ,आसमान में भटके हे
जाने की कोई राह नहीं ,बस आस लगाए बैठे हे
मन की बत्ती को बजाए ,जुगनू पे तो तरसे हे
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