Monday 14 July 2014




"प्यार" ही जिन्दगी का शायद सही फ़लसफ़ा है ;
जो हर एक " जिंदादिल" जिन्दगी में बसता है ;
वैसे चाहे, कोई अकेला भी जीने को, जी लेता है !
वीराने मे खिले- गुलबहार,वह कोई खिलना है ?
किसी के दिल में पनाह पाये,यह हमारी आरजू है ;
किसी के होंटों की मुस्कुराहट बने यह अरमान है ;
हम ना रहे, पर हमे याद मे रहने की चाहत है !
फरियाद करेंगे वह किस से, जब दिल टूटता है ,
कहते जो हमारे लिये उनके पास वक़्त नहीं है ;
खोजेंगे हमे,वक़त आने पर,यह हमारा वादा है !
मोजुदगी नहीं, होने का एहसास ही खास है ;
दिल की नजर से देखिये, हम आपके पास है |


मेरा दिल ये घर तेरा है तुझको ही ये ख़बर नहीं है
?कभी नहीं भूला मैं तुझको याद तेरी आती रहती है……..!
दिल तरसता है तुझे मिलने सनम दिन रात ये,
फिर भी कहता है, न मै तुझसे मिलूँ …..!
पा के गर मुझको तू अपने पास फिर,
रूठकर, तडपोगी, तब मै क्या करूं …….! .
दिल तरसता है, तुझे मिलने सनम…..!
हो गयी मुझसे तुझे अनबन, जो नफ़रत बन गयी,
प्यार का मुझको मिला ईनाम, ये कैसा सही,
जिसको इतना चाहा, दिल से, जान से,
उसने ही ठुकरा दिया हमको,न कुछ हम कह सके………!
.दिल तरसता है, तुझे मिलने सनम…..!
दिल तरसता है तुझे मिलने सनम,
दिन रात ये,फिर भी कहता है न मै तुझसे मिलूँ,
और समझ में आ रहा भी कुछ नही,
ना मिलूँ तो जिन्दगी मै क्या करूं ……. !
दिल तरसता है तुझे मिलने सनम……!

ज्यादा नहीं है आमदनी ,ऊपर से टैक्स का भार 
आसान नहीं है नौकरी ,चलता नहीं है कारोबार 
महंगाई ने नींद उड़ाई ,भ्रष्टाचार ने छीना चैन 
मै हूं कॉमन मैन, मै हूं कॉमन मैन..........।
बार बार बढ़ जाते हैं डीजल पेट्रोल के दाम 
अब तो रसोई गॅस पर भी लग गई है लगाम 
बढ़ती हुई महंगाई है भ्रष्टाचार की देन
मै हूं कॉमन मैन, मै हूं कॉमन मैन..........।
होता नहीं काम किसी एजेंट के बिना 
दाखिला नहीं होता डोनेशन के बिना
स्कूल की ऊंची फीस ने कर दिया है बेचैन
मै हूं कॉमन मैन, मै हूं कॉमन मैन..........।
मकान नही खरीद सकते लोन के बगैर
ऊपर से होता है ब्लॅक व्हाइट का चक्कर
सोच सोच कर गरम हो जाता है ब्रेन
मै हूं कॉमन मैन, मै हूं कॉमन मैन..........।
हर चीज़ मे मिलावट ,पेकेट मे कम मात्रा
हर जगह है खतरा,सुरक्षित नहीं है यात्रा
खतरे से खाली नहीं बस हो या ट्रेन
मै हूं कॉमन मैन, मै हूं कॉमन मैन..........।
लम्बी-लम्बी कतारें ,बड़ा बुरा है हाल
बसे भरीं ,ट्रेन भरीं हैं ,भरे हैं अस्पताल
आबादी यूं ही बढ़ती रही तब क्या होगा मैन
मै हूं कॉमन मैन, मै हूं कॉमन मैन..........।
बात-बात पे पंगा ,होता रहता है दंगा
हर काम मे लगता है कोई न कोई अड़ंगा
ऐसी हालत देख कर ,भर आए मेरे नैन
मै हूं कॉमन मैन, मै हूं कॉमन मैन..........।

Wednesday 9 July 2014

अचानक मे टकरा गया मेरे ही कॉलेज की लड़की से
वह आरही थी मे जा रहा था 
दोनों अपनी अपनी सोच मे थे टकरा गये
उसने मुझे देखा मैंने उसको एक ही नज़र मे प्यार हो गया 
मैंने उसकी किताबे उठाई उसने मेरी 
फिर बात का सिलसिला शुरू हुआ 
कैंटीन मे चाय पीते पीते खतम हुआ 
एक दूसरे का नाम भी पूछा मोबाइल नंबर भी लिया 
पता ठिकाना भी पूछा वह रोजाना टेम्पो से कॉलेज आती थी 
मैंने कहा मे तो उस रास्ते से ही आता हु 
तुम्हें आते समय लेता आऊँगा जाते समय पहुचा दूंगा
लड़की खुशी खुशी मन गई आग दोनों तरफ बराबर की थी
हर शाम के प्रोग्राम बनने लगे
रात मे दोनों मोबाइल से बाते करते रहते
पढ़ाई लिखाई तो गई भाड़ मे
ऐसे करते करेते कितना समय गुजर गया मालूम ही नहीं पड़ा
इतने मे माँ की आवाज आई
क्या आज कॉलेज नहीं जाना है क्या
सूरज को उगे तीन घंटा हो गया
ले चाय पीले और फटाफट तैयार हो जा
अब मेरे समझ मे आया जो देखा था वह सपना था
पर था बड़ा ही मनोरंजक



बेटे को ब्याह कर बहू को लाते समय क्यो नहीं आंते आँसू
अपनी लड़की को बिदा करते वक़्त कहाँ से आजाते है आँसू
बहू को चाहे बेटी जैसी समझ लेवे प्यार चाहे जितना भी देवे
पर उसके मनमे टीस उठती है माँ बाप याद आते ही है
भाई बहन भी याद आते है सहेलियो की कमी महसूस होती है
वैसे ही अपनी लड़की की हालत होती है
यह एक वास्तब क्रूर सत्य है लड़की पराया धन होती है
चाहे जितना बड़ा भी आदमी क्यो ना हो
लड़की को बिदा करनी ही पड़ती है
तब क्यो करे पशतावा जिसकी लड़की लाये है
जिनको लड़की दी है देनेवाले लेनेवाले दोनों कीहालत एक जैसी है
दोनों के आँसुओ का स्वाद एक जैसा है -नमकीन है
फिर क्यो नहीं करे ईश्वर से हाथ जोड़कर प्रार्थना हे
भगवान दोनों को रखना खुशहाल जैसे दोनों ही सदा सुखी रहे |









यूँ तो बेवजह तारीफ़ मैं करता नही, 
पर आज ये शायर दिल मजबूर है, 
आज तक नही किया नशा जिसने, 
आज तेरे हुस्न के नशे में चूर है। 
चंचल सी,मद्धम सी ये धूप जैसे, 
फ़िसल रही हो तेरे खुले बाहों से, 
तेरा स्पर्श करने को आतुर हूँ, 
पर हाथों से नही,निगाहों से। 
दबी हुई हसरत है की मेरी नज़र, 
तेरा आँचल बन तुझसे लिपट जाये, 
या तेरे दीदार की प्यासी निगाहें,
तेरा अरमान बन तेरे दिल में सिमट जाये।
मेरे होंठ तेरे लबो पे सज जाये,
पर तेरी ही कविता के बोल बनके,
और समाये तेरी साँसे मेरी साँसो में,
फ़कत एक एहसास अनमोल बनके।
तेरे चेहरे की चमक ये जैसे,
मेरी रातों को रोशन करती है,
ख्वाबों के तहखाने में आने को,
जो तू यादों की सीढ़ियाँ उतरती है।
मुझमे तू है और तुझमे मैं हूँ,
इस हकीकत से अब मैं अंजान नही,
खूबसूरती की इस ज्योत के बिना,
इस सजल अस्तित्व की पूर्ण पहचान नही।
मेरे चारोँ ओर जितने हैँ लोग ,
सबको लगा है प्यार का रोग ।
हर पल वो करते हैँ बात ,
कभी दुसरी तो कभी तीसरी के साथ ।
इनकी मस्ती देख मैँ थक चुका हुँ ,
इस अकेले पन से पक चुका हुँ ।
इस कुवाँरे पन का The End चाहिए ,
मुझको भी एक Girl Friend चाहिए ।
Mobile मेँ मेरी Free Tariff हो ,
और Girl Friend मेरी बहुत शरीफ़ हो ।
मुझ से ही प्यार वो करती रहे ,
हर दम मुझपे मरती रहे ।
महर पल रहे वो मेरे साथ ,
कभी ना छोड़े मेरा हाथ ।
जुड़ी रहे उससे मेरी Life ,
और वही बस बने मेरी Wife ।
मुझे ही बनना उसका Husband चाहिए ,
मुझको भी एक Girl Friend चाहिए ।


गर राजा भी होगा तो रानी तो होगी
कि अम्मा की लोरी कहानी तो होगी
मोहब्बत को दुश्मन बना लो तुम जितना
कि कान्हा की मीरा दीवानी तो होगी
जलाना है जितना जला लो तुम बहूएँ
कि बेटी भी तेरी सयानी तो होगी
सियासत बिछा ले चाहे गोट जितनी
कि शहीदों के किस्से कहानी तो होगी
बड़े लोग हैं जो,बड़े ही रहेंगे
कि बच्चो की घर में नादानी तो होगी
तुम मुझे भूल जाओ,मुनासिब नही है
कि मोहब्बत की दिल में निशानी तो होगी











आंखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा, 
किश्ती के मुसाफ़िर ने समंदर नहीं देखा। 
बेवक़्त अगर जाऊंगा सब चौंक पड़ेंगे, 
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा। 
जिस दिन से चला हूं मेरी मंज़िल पे नज़र है, 
आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा। 
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं, 
तुमने मेरा कांटों भरा बिस्तर नहीं देखा। 
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला, 
मैं मोम हूं, उसने मुझे छूकर नहीं देखा।



मोहब्बत चीज है क्या, मोहब्बत ब्ला है क्या ?
राख हाथ में रख कर पूछते हो जला है क्या ?
सदियों से बूखा हूँ, सदियों से हूँ पियासा,
आज़ादी के बाद भी ऐ सनम बदला है क्या ?
सरनगू हो के फ़रियाद भी करते हो,
और पूछते भी हो अल्लाह है क्या ?
शोटी मछली को वडी ने खा लिया,
अब मत पूछना ये जलजला है क्या ?
मोहब्बत चीज है क्या, मोहब्बत ब्ला है क्या ?
राख हाथ में रख कर पूछते हो जला है क्या ?



कभी कभी पीड़ा के बादल बरसाने को जी करता है
कभी कभी कुछ घाव ह्रदय के सहलाने को जी करता है......।
जो अपने थे पोंछ न पाये भीगी पल्कों को पल भर भी
कभी कभी गैरो के आगे दुख गाने को जी करता है.......।
खुली आँख से भी तो हम ने अब तक ठोकर ही खाई है
कभी कभी तो पलक मूँद कर गिर जाने को जी करता है......
अधरो पर मुस्कान लिए चुप चाप कई गम पीते है 
कभी कभी तो तोड़ के चुप्पी चिल्लाने को जी करता है...।
हम भी न कह पाये तुम से,और तुम भी न समझ सके
कभी कभी इस रिश्ते का सच समझाने को जी करता है....
कभी कभी पीड़ा के बादल बरसने को जी करता है
कभी कभी कुछ घाव ह्रदय के सहलाने को जी करता है......।


रात कटती नही , सुबह होती नहीं 
पलके नम हैं मगर , आँखे रोती नहीं 
तुमसे होके जुदा ऐ मेरे हमनशी 
चाँदनी से भी अब बात होती नहीं
देखते देखते हाय ये क्या हो गया 
बात ही बात में तू खफा हो गया 
है तुझे भी पता है मुझे भी पता
परबताने की हर बात होती नहीं
तुम भी सोंचो उधर हम भी सोंचे इधर
कश्मकश में ये दिन यूँ ही जाए गुज़र
कहना तुमको भी है कहना हमको भी है
पर किसी से भी शुरुआत होती नहीं
क्या कहें किस कदर दूरी बढती गयी
बात बढती गयी और बिगड़ती गयी
अब तो हालत हुयी अपनी ये आजकल
सपनो में भी मुलाकात होती नहीं