बेटे को ब्याह कर बहू को लाते समय क्यो नहीं आंते आँसू
अपनी लड़की को बिदा करते वक़्त कहाँ से आजाते है आँसू
बहू को चाहे बेटी जैसी समझ लेवे प्यार चाहे जितना भी देवे
पर उसके मनमे टीस उठती है माँ बाप याद आते ही है
भाई बहन भी याद आते है सहेलियो की कमी महसूस होती है
वैसे ही अपनी लड़की की हालत होती है
यह एक वास्तब क्रूर सत्य है लड़की पराया धन होती है
चाहे जितना बड़ा भी आदमी क्यो ना हो
लड़की को बिदा करनी ही पड़ती है
तब क्यो करे पशतावा जिसकी लड़की लाये है
जिनको लड़की दी है देनेवाले लेनेवाले दोनों कीहालत एक जैसी है
दोनों के आँसुओ का स्वाद एक जैसा है -नमकीन है
फिर क्यो नहीं करे ईश्वर से हाथ जोड़कर प्रार्थना हे
भगवान दोनों को रखना खुशहाल जैसे दोनों ही सदा सुखी रहे |
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