आंखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा,
किश्ती के मुसाफ़िर ने समंदर नहीं देखा।
बेवक़्त अगर जाऊंगा सब चौंक पड़ेंगे,
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा।
जिस दिन से चला हूं मेरी मंज़िल पे नज़र है,
आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा।
ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं,
तुमने मेरा कांटों भरा बिस्तर नहीं देखा।
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला,
मैं मोम हूं, उसने मुझे छूकर नहीं देखा।
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