Monday, 14 July 2014



मेरा दिल ये घर तेरा है तुझको ही ये ख़बर नहीं है
?कभी नहीं भूला मैं तुझको याद तेरी आती रहती है……..!
दिल तरसता है तुझे मिलने सनम दिन रात ये,
फिर भी कहता है, न मै तुझसे मिलूँ …..!
पा के गर मुझको तू अपने पास फिर,
रूठकर, तडपोगी, तब मै क्या करूं …….! .
दिल तरसता है, तुझे मिलने सनम…..!
हो गयी मुझसे तुझे अनबन, जो नफ़रत बन गयी,
प्यार का मुझको मिला ईनाम, ये कैसा सही,
जिसको इतना चाहा, दिल से, जान से,
उसने ही ठुकरा दिया हमको,न कुछ हम कह सके………!
.दिल तरसता है, तुझे मिलने सनम…..!
दिल तरसता है तुझे मिलने सनम,
दिन रात ये,फिर भी कहता है न मै तुझसे मिलूँ,
और समझ में आ रहा भी कुछ नही,
ना मिलूँ तो जिन्दगी मै क्या करूं ……. !
दिल तरसता है तुझे मिलने सनम……!

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