Saturday 31 May 2014





नज़रें टिकी हैं देश पर , सारे जहान की।
इज्ज़त लगी है दांव पर भारत महान की।
आओ चलो मिलकर बंटाए हाथ हम सभी,
सौगंध हमें बाइबल , गीता, कुरान की।
इन नफ़रतों की आग में अब ना जलेंगे हम,
तैयार की है भूमिका ऊंची उड़ान की।
जो सीख दे रहे हैं हमें जानते नहीं,
गोदी में खेलते हैं हम , वेदोपुरान की।
स्वीकार चौधराहटों को किसलिए करे,
इतनी नहीं मजबूरीया हिंदोस्तान की।
हम शांतिदूत हैं मगर असमर्थ तो नहीं,
दिखला दिया आइ घड़ी जब इम्तिहान की।
दुश्मन नहीं टिक पाएगा इक पल भी सामने,
बोलेंगे मिलके 'जय जवान, जय किसान' की।
झुक जाये देश 'सत्य' का मुमकिन कभी नहीं,
हस्ती मिटेगी शत्रु के नामो - निशान की।

Wednesday 28 May 2014




इक बूढ़े बाप ने अपने बेटे हरी को अमरीका में फ़ोन लगाया 
“बेटा बड़ा अफ़सोस है की तुम्हे ये बता रहा 
तुम्हारी मम्मी के साथ अब मैं बिलकुल नहीं रह सकता 
हमने कर लिया है इक दूसरे से डिवोर्स लेने का फैसला 
तुम्हे ये मालूम होना चाहिए इसीलिये फ़ोन किया ”
“ऐसा कैसे हो सकता. पप्पा ये मैं कतई नहीं मान सकता. 
माँ ने ऐसा किया ही क्या बताइये भी तो ज़रा, 
ये मज़ाक सा आपने सोचा भी कैसा 
और हमसे पूछे बिना ऐसा कुछ करना बिलकुल गलत है पप्पा ”
” हरी बेटा बात बहुत आगे निकल गयी है, 
अब कुछ नहीं हो सकता सिर्फ तुम्हे बताना था 
इसलिए फ़ोन कर दिया, घबराना नहीं बेटा ” 
और पापा ने आगे कुछ कहे बगैर फ़ोन बंद कर दिया .

उसी दिन कुछ समय बाद उनकी बेटी सीता का जर्मनी से फ़ोन आया 
“पप्पा मुझे आप और मम्मी से अभी अभी जरूरी बात है करना”
“बेटी मम्मी तो यहाँ है नहीं, पर सब ठीक तो है ना बेटा ” 
“ठीक कैसे पप्पा, तुम लोग डिवोर्स ले रहे हो ऐसा सुना ये मज़ाक कैसा ”
“ओ याने तुम्हे हरी ने बताया, मज़ाक नहीं, तुमने ठीक ही सुना है बेटा, 
बात बहुत आगे बढ़ गयी है जो कुछ करना था सब तो किया ”
“ ऐसे कैसे आप दोनों कर सकते हैं पप्पा, बहुत शर्म है, हमको ये कतई नहीं होने देना 
मैं और हरी पंद्रह दिन के अन्दर वहां आ रहे है तब तक कुछ मत करना ” 
और पप्पा ने दुःख से उस बेचारी का फ़ोन पर सुना बेहद सिसकना ….
“अच्छा बेटी मत घबराओ, सब ठीक होगा, तुम कहते हो तो ठहराना ही पडेगा,
पंद्रह दिन के अन्दर जरूर आना नहीं तो मुश्किल होगा और ठहराना ”

फ़ोन के बाद हरी सीता के पप्पा ने हंसकर उनकी मम्मी से कहा 
“तुम चाहती थीं ना हरी और सीता ने इस दिवाली पर यहाँ आना 
और उन्होंने कहा था बिलकुल नहीं बन पायेगा इस वर्ष ऐसा आना 
अब मैंने उन्हें समझा दिया है और दोनों का तो अब निश्चित है आना 
मुमकिन है उनके साथ तुम्हारी बहू जमाई और बच्चों का भी आना ….!


पैसो की होड़ में 
ईमान डगमगा गया
इंसान का विवेक खो गया
पैसा कमाने की भूख में
बुरा भला भूल गया
पैसा इकठ्ठा करता रहा
आलिशान महल में रहने लगा
बच्चो के लिए थोड़ा बहुत समयभी
न निकाल पाया
बच्चो को बिदेश भेज दिया
बच्चो से माँ की बात होती थी
वह भी कभी कभार
माँ का तो लगाव था
पर बच्चो को माँ का प्यार नहीं मिला
लगाव होता तो भी कैसे
पापा से भूले भटके
हाय हेलो हो जाता था
वह भी जब पैसो की जरुरत पड़ती
पापा पूछते भी नहीं
क्या करोगे इतने पैसोंका
बच्चा सही दिशा से भटक जात्ता रहा
पापा इतने रुपये कंहा रखे
उसकी चिंता में सोचता रहता
इनकमटैक्सवालो के डर से
सारे रुपये स्विस बैंक में जमा करवा दिया
पत्नी को भी पासवर्ड नहीं बतलाया
सोचा बतला दूंगा
इतनी जल्दी भी क्या है
अचानक दिल का दौरा पड़ा
इधर लाश का संस्कार हो रहा था
बेटे रूपए की खोज कर रहे थे
माँ को भी मालूम नहीं था
क्या बतलाये
बेटे रातोरात अनाथ हो गए
कंगाल हो गए
यह बिधि का बिधान था 

Monday 26 May 2014

आज के इन नौजवान बच्चों का हाल, है बहुत बेहिसाब। 
देश के बारे मे पूछें, तो मिलता है- ये जवाब। 
सब है बकवास, इस देश का तो सिस्टम ही है खराब। 
प्लीज मत करो हमारा टाइम खराब! 
हमारा टाइम बहुत कीमती है, देशभक्ति तो बात बेकारों की है। 
हमे ढूंठनी अच्छी नौकरी है, 
इच्छा तो बस विदेश में सैटल होने की है।।
 ये हाल है इनका, क्योंकि गुलामी का दर्द इन्हे पता नहीं है, 
कितना जुल्म सहा था इनके बुजुर्गों ने, इन्हे तो एहसास भी नहीं है।
इन्हे समझाना शायद, अब आसान नहीं है,
क्योंकि इनके माता पिता के दिल में भी, भारत का वो मान नहीं है।।
 अरे उनकी माँ क्या ख़ाक जनेंगी, देशभक्त सपूतों को,
जो खुश हैं कि वेतन पचास पर, हसबेंड 1 लाख घर लाता है।
सिर्फ ऐशोआराम और मस्ती के चक्कर में, जो हरदम रहते हैं,
उन्हे किसी की क्या परवाह, क़हॉँ अपना भारत डूबा जाता है।।
अगर बनाना है सुनहरा भारत, तो इन बच्चों को समझाना होगl 
सही दिशा और सही ज्ञान का, दीपक इन्हे दिखलाना होगा।
कर्तव्य पथ पर कैसे चलना है, इनहे दिल से सिखलाना होगा।।
हर दिल में देशभक्ति और सिर्फ प्रेम की, लौ को जलाना होगा।।


एक ढूंढो हज़ार मिलते हैं।
आदमी भी उधार मिलते हैं।।
मोहब्बत एक तरफा मत करना ,
उम्र भर इंतजार मिलते हैं ।।
हम उठाते हैं - उँगलियाँ जिन पर ,
खुद भी उनमें शुमार मिलते हैं ।।
जिनसे मिलने को मन नहीं करता ,
क्यों वही बार - बार मिलते हैं ।। 
यूं ही मिलने से कुछ नहीं होता ,
गर नहीं मन - विचार मिलते हैं।।

डोलियाँ लुट रही हैं राहों में ,
लुटेरे खुद कहार मिलते हैं ।।

'सत्य' सब जानते हैं दुनियाँ में ,
फूल चाहो तो खार मिलते हैं ।।

हर घड़ी मौत का, साथ है ज़िंदगी ।
जो बनी ही न वो, बात है ज़िंदगी ।। 
दिल में हर पल सुबह की , प्रतीक्षा लिए । 
जो कटी ही न वो, रात है ज़िंदगी ।।
बस सुलगती हुई, राख़ होती गयी। 
जो जली ही न वो, आग है ज़िंदगी ।।
स्वार्थ , नफरत , विवादों भरी भीड़ में ।
सिर्फ दर्दों भरी , याद है ज़िंदगी ।।
चाँदनी सी धवल, ओढनी ओढ़कर ।
जो छिपाया वही, दाग है ज़िंदगी ।।
'सत्य' संगीत के साज रखे रहे ।
जो न छेड़ा गया - राग है ज़िंदगी ।।

Sunday 25 May 2014



आज जो हो रहा है समाज मे
वो अच्छा नहीं हो रहा है
रक्षक बन गए है भक्षक
लोगो को भय हो रहा है 
नहीं पड़ी किसी की किसी को 
आदमी कितना स्वार्थी हो रहा है
नारी अस्मिता नहीं सुरक्षित 
खुलेआम चीर-हरण हो रहा है 
हो रहे बलात्कार पे बलात्कार
सिलसिला बंद नहीं हो रहा है 
आदमी, औरत के दिल में
अपनी इज्ज़त खो रहा है
बच्चो की सुरक्षा को लेकर
माँ-बाप को खौफ हो रहा है
भड़क जाता है छोटी बात पर
आदमी अपना आपा खो रहा है
धर्मगुरुओ के प्रवचन का भी
कोई असर नहीं हो रहा है
मुश्किल में है आम आदमी
महंगाई का बोझ ढो रहा है
आज भी दूर- दराज़ गांवो में
दलितो पर जुल्म हो रहा है
कर्ज़ में डूबा बेचारा किसान
मरने को मजबूर हो रहा है
बन रहा अमीर और अमीर
गरीब और गरीब हो रहा है
हाथ में है जिसके बागडौरवो
कुर्सी पर बैठा सो रहा है
धर्म-जाति के नाम पर कोई
नफरत के बीज बो रहा है
घोटाले पर घोटाले कर के
कोई देश को डुबो रहा है
घूसखोरी - जमाख़ोरी करकेकोई
मालामाल हो रहा है
जो हो रहा है समाज में
अच्छा नहीं हो रहा है

सत्यमेव जयते
भारत का अनोखा सत्य
पर क्यों आज धूमिल पड़ रहा है यह सत्य 
चुनाव में मुक़ाबला करना पड़ता ही है
पर इसका मतलब यह नहीं है
एक दूसरे का पर्दा फांस करते रहे 
यह काम पार्टिया क्यों करती है 
सच तो अपने आप उजागर होता है
आप लोगो के बर्ताव जनता को पसंद नहीं है 

इस चुनाव में जनता ही जनार्दन है 
जनता ही वकील है
जनता ही जज है
वह ही फैसला सुनाती है
आप लोग है क्या
उनके नज़र में यह कभी सोचा है
आज का बर्ताव बदले की भावना बढ़ता है
इसका प्रतिफलन संसद में होता है
जनता का काम नहीं होता है
आपसमे लड़ते रहते है
अगर आप लोगो का बर्ताव बढ़िया रहता
तो संसद में लड़ाई का मौक़ा नहीं मिलता
कानून अपना काम करता
सरकार अपना काम करती
देश में खुशहाली बढ़ती भ्रस्टाचार, महंगाई भाग जाती
सयमेव जयते
का नारा आकाश में चमकने लगता ।
I just called to say I love you, it's your silly wonder boy 
I just rang to say I need you, I love being your favorite toy
I just shout to say I want you, I will do it all day long 
I just whisper that I miss you,and sometimes do it with a song.
I just want to kiss and caress you, and ease away your pain 
I just need to be close to you, it drives me so insane. 
I just have to make love to you, whenever I see your face 
I just need to feel each bit of you, when you're at my place
.I just ache to have a part of you, with you I'm so obsessed 
I just have to give my life to you, as you're the very best.
 I just dream of having all of you, it's a selfish silly thing 
I just hope it is the same for you, more than a passing fling. 
I just smile when I think of you, and sometimes shed a tear 
I just have to consume all of you, my true love is so sincere.
 I just seem to want my life with you, every single day 
I just can't wait to be with you, that will never go away. 
I just wrote this poem to you, It's your total love 
I seek I just have to cheer each part of you, as you are truly unique. 
Love you forever.