Wednesday, 28 May 2014



पैसो की होड़ में 
ईमान डगमगा गया
इंसान का विवेक खो गया
पैसा कमाने की भूख में
बुरा भला भूल गया
पैसा इकठ्ठा करता रहा
आलिशान महल में रहने लगा
बच्चो के लिए थोड़ा बहुत समयभी
न निकाल पाया
बच्चो को बिदेश भेज दिया
बच्चो से माँ की बात होती थी
वह भी कभी कभार
माँ का तो लगाव था
पर बच्चो को माँ का प्यार नहीं मिला
लगाव होता तो भी कैसे
पापा से भूले भटके
हाय हेलो हो जाता था
वह भी जब पैसो की जरुरत पड़ती
पापा पूछते भी नहीं
क्या करोगे इतने पैसोंका
बच्चा सही दिशा से भटक जात्ता रहा
पापा इतने रुपये कंहा रखे
उसकी चिंता में सोचता रहता
इनकमटैक्सवालो के डर से
सारे रुपये स्विस बैंक में जमा करवा दिया
पत्नी को भी पासवर्ड नहीं बतलाया
सोचा बतला दूंगा
इतनी जल्दी भी क्या है
अचानक दिल का दौरा पड़ा
इधर लाश का संस्कार हो रहा था
बेटे रूपए की खोज कर रहे थे
माँ को भी मालूम नहीं था
क्या बतलाये
बेटे रातोरात अनाथ हो गए
कंगाल हो गए
यह बिधि का बिधान था 

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