Saturday, 31 May 2014





नज़रें टिकी हैं देश पर , सारे जहान की।
इज्ज़त लगी है दांव पर भारत महान की।
आओ चलो मिलकर बंटाए हाथ हम सभी,
सौगंध हमें बाइबल , गीता, कुरान की।
इन नफ़रतों की आग में अब ना जलेंगे हम,
तैयार की है भूमिका ऊंची उड़ान की।
जो सीख दे रहे हैं हमें जानते नहीं,
गोदी में खेलते हैं हम , वेदोपुरान की।
स्वीकार चौधराहटों को किसलिए करे,
इतनी नहीं मजबूरीया हिंदोस्तान की।
हम शांतिदूत हैं मगर असमर्थ तो नहीं,
दिखला दिया आइ घड़ी जब इम्तिहान की।
दुश्मन नहीं टिक पाएगा इक पल भी सामने,
बोलेंगे मिलके 'जय जवान, जय किसान' की।
झुक जाये देश 'सत्य' का मुमकिन कभी नहीं,
हस्ती मिटेगी शत्रु के नामो - निशान की।

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