Monday, 26 May 2014


हर घड़ी मौत का, साथ है ज़िंदगी ।
जो बनी ही न वो, बात है ज़िंदगी ।। 
दिल में हर पल सुबह की , प्रतीक्षा लिए । 
जो कटी ही न वो, रात है ज़िंदगी ।।
बस सुलगती हुई, राख़ होती गयी। 
जो जली ही न वो, आग है ज़िंदगी ।।
स्वार्थ , नफरत , विवादों भरी भीड़ में ।
सिर्फ दर्दों भरी , याद है ज़िंदगी ।।
चाँदनी सी धवल, ओढनी ओढ़कर ।
जो छिपाया वही, दाग है ज़िंदगी ।।
'सत्य' संगीत के साज रखे रहे ।
जो न छेड़ा गया - राग है ज़िंदगी ।।

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