पितृ पक्ष के विसर्जन की अब होने लगी तैयारियां हर तरफ है,
उदासी की काली घटाओं के जाने का वक्त बस नज़दीक ही आ गया है
हो रहा हर ओर नवरात्री के आगमन का इंतज़ार है,
मंदिरों में भी हर ओर श्रृंगार की चल रही तैयारियां है ,
मिट जायेगा अँधेरा अब उजाले का हर किसी को इंतज़ार है ,
द्वार पर लगा कर बंदनवार माँ का करना अब स्वागत है ,
सुन्दर कलश को सजा फूलों से माँ का करना अब श्रंगार है ,
माँ की मूरत को चुनरी चढ़ा अब करना उनका पूर्ण श्रृंगार है ,
लाल गुड़हल के फूलों को माँ के क़दमों में चढ़ाना है ,
मेवा और मिष्ठान से माँ का भोग भी लगाना है
माँ के नौ रूपों का पूजन अब हमको करना है ,
उनके क़दमों से घर को करना है अब पावन ,
मुश्किलो को माँ के सहारे छोड़ अब रोज कीर्तन करना है ,
कन्या पूजन संग माँ को विदा भी करना है,
आ रही है नवरात्रि सब छोड़ माँ के आगमन का स्वागत करना है ॥
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