Saturday, 25 July 2015





विवाह या शादी हर इंसान का ख्वाब या सपना होती है और 24-25 साल के होते ही कच्चा माल "प्रोसेस्ड" होकर बाजार में बिकने आ जाता है! जितनी अच्छी नौकरी, उतने ही अच्छे दाम!!! आजकल जितना फायदा सिडबी (स्माल इंडस्ट्रीज़ डेवेलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया) द्वारा स्थापित किये गए लघु उद्योगों में नहीं होता है उतना तो आजकल विवाह बाजार में संतानों के व्यापार में हो जाता है! मुझे तो लगता है सरकार को विवाह का व्यवसायीकरण कर देना चाहिए और इसमें भी विदेशी कंपनियों को अपना हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित करना चाहिए! मैं तो यहाँ तक कहता हूँ कि भारतीय जीवन में विद्यमान जन्म से लेकर मृत्यु तक के सभी सोलह संस्कारों से जुडी हर चीज़ों को बेचने के सार्वभौमिक अधिकार सरकार को वालमार्ट जैसी कंपनियों को दे देने चाहिए और साथ साथ स्विस बैंकों को भी खुश करना चाहिए!

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