देखना एक दिन तुझे भी हमसे मुहब्बत हो जाएगी.!
रात-रात भर जागेगी और ख़यालो में खो जाएगी.!!
यूँ ही शाम ढलेगी और यूँ ही दिन भी निकलेगा.!
आईना में देख सूरत अपनी खुद से शरमाएगी.!!
कई हैं ज़माना में हसीन हम तो कुछ भी नहीं हैं.!
बनाना चाहेगी हमसफर कोई सूरत मेरी नज़र आएगी.!!
गुज़रेगी मेरी गली से देखेगी जब मेरे उजड़े घर को.!
याद कर-कर हमें तन्हाई में खूब अश्क़ बहाएगी.!!
वक़्त की ठोकरें अच्छे-अच्छों को जीना सीखा देती.!
ना रहेंगे जब हम तो शायेद खुदको संभाल पाएगी!
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