Thursday, 12 June 2014



मिला वो भी नहीं करते , मिला हम भी नहीं करते
वफ़ा वो भी नहीं करते , वफ़ा हम भी नहीं करते
उन्हें रुसवाई का दुःख , हमें तन्हाई का डर
गिला वो भी नहीं करते , शिकवा हम भी नहीं करते
किसी मोड़ पर टकराव हो जाता है अक्सर
रुका वो भी नहीं करते , ठहरा हम भी नहीं करते
जब भी देखते हैं उन्हें , सोचते हैं कुछ कहें उनसे
सुना वो भी नहीं करते , बोला हम भी नहीं करते
लेकिन ! ये भी सच है कि मोहब्बत उन्हें भी है हम से
इज़हार वो भी नहीं करते , जताया हम भी नहीं करते
Heart Design


आज अचानक बहुत दिन बाद,मुलाकात हो गई;
मेरे खोये हुवे दिल से,काफ़ी दिन से गुमशुदा था ।
कितनी मिन्नत,कितनी फ़रियाद,खोजने की हद हो गई;पूछा हाल-चाल दिल से,
क्यों इतने अर्सेसे वह मुझ से ज़ुदा था ।
आँखों मे भर पानी,सुनाया संवाद ,प्यार की इन्तिहां हो गई;
प्यार किसी से हो गया था उसे ,
नासमझ दिल कब उसी मे खो गया था ।
जर्जर, मासुम से चहरे पर अवसाद,जीने की तमन्ना खत्म हो गई;
टूटे हुए दिल को सम्हालूँ कैसे,
"दिल्लगी" को उसने "दिल की लगी" समझा था ।
समुन्दर की रेत पर लिखा होता बरवाद,
लहरें आई और धो गई;रेत का दोष इसमे कैसे,
नदानी थी दिल की,ग़लत जगह लिखा था।
दिल को वापस लाने की थी कवायत,
अब जरूरत बड़ी हो गई ;जीने को जी लेते लोग जैसे-तैसे,
पर रेगिस्थान मे बेवकूफ़ पानी खोज रहा था ।

Saturday, 7 June 2014

मुझे “प्रेम” पर लिखना ना आया ,
क्योंकि “प्रेम” मुझमे कहीं ना समाया ,
मैंने जब भी “प्रेम” को गले लगाया ,
उसे अधूरा ही अपने अंदर सा पाया ।
मुझे “प्रेम” पर लिखना ना आया ,
क्योंकि “प्रेम” अक्सर मैंने अपने सवालों में पाया ,
मैंने जब भी “प्रेम” को गले लगाया ,
उसे पिघलता सा अपने अंदर कहीं पाया ।
मैंने अब “प्रेम” पर लिखने का मन बनाया ,
और हर प्रेमी युगल को अपनी कलम में कहीं समाया ,
तब मेरी कलम में भी इतना “प्रेम” समाया ,
कि हर पढ़ने वाले के मन में भी “प्रेम” का अक्स था छाया ।
“प्रेम” एक एहसास है मन का ,“प्रेम” एक तृष्णा है तन की ,
“प्रेम” कुछ ख्यालों की माया ,जिसमे है पूरा विश्वास समाया ।



आज कल मुझे मुस्कुराहटो से डर लगने लगा है
हकीक़त तो क्या सपनो में भी डर लगने लगा है
मुस्करा कर कोई देखे तो समझना कोई काम है 
वरना मुफ्त में क्या कही कोई होता बदनाम है 
मुस्कुराह्टो पर अगर गए तो सारा काम तमाम है 
जर जमीं और न जाने क्या क्या खोना आम है 
नजर का फेर है इसीलिए मुखोटा ओड़ा गया है 
दिल का हाल भेदने को, हर तीर छोड़ा गया है 
ये तो है नज़र का भ्रम, और फिर सब कुछ गया है 
अपना समझा था जिसे, माजरा बहुत दूर तलक गया है
सीने में रखते है खंजर और मुंह पर मुस्कराहटे हज़ार है
सच है आस्तीन के सांपो की आज चहु और फेली भरमार है
जमाने का क्या कहे आज, पुरुषो में भी सौतिया डाह है
मुस्करा कर कत्ल करके , न लेते ये कभी आह है
सच है मुस्कुराने के रंग कई और मतलब हज़ार है
मन का क्या है, यह तो लुटता पिटता कई बार है
कोई मुस्कुराया तो दिल में लड्डू फुटा हर बार है
मिला तो ठीक वर्ना, अंगूर तो खट्टा हर बार है
मेरा कहा मान भी लो, यह सिर्फ बचा खुचा व्यापर है
मुस्कुराहटो पर जा निसार, यह जुमला अब बेकार है

Tuesday, 3 June 2014



राखी बहन से बंधवाते है.
इच्छा और सुरक्षा की पूर्ति प्रेमिका की करते है,
बहन के साथ पडोस की दुकान जाने मेँ शरमाते है,
प्रेमिका के साथ विश्वभ्रमण का सपना बुनते है..!
माँ पीको फाल कराने के लिए साडी देँ
तो इनको जाने मेँ शर्म आती है.
और प्रेमिका के लिए जीँस खरीदने मेँ आगे रहते है,
माँ चायपत्ती लेने जाने के लिए कहेँ तो गरजते है,
पर प्रेमिका ने अगर रिचार्ज के लिए
कहा तो कुत्तो की तरह भाग कर जाते है..!
बहन जिस कालेज मेँ एडमिशन ले
इनको वहाँ पढने मेँ शर्म आती है,
पर जिस कालेज मेँ प्रेमिका एडमिशन ले
उसमेँ घर वालो से लडकर एडमिशन लेते है...||
अगर ऐसा ही रहा तो वो दिन दूर नही जब माँ की
गाली आदमी सहन कर लेगा पर प्रेमिका की गाली मेँ दंगे
हो जायेँगे..||

Monday, 2 June 2014



हम है नये मतदाता 
है हम ही देश के भाग्य-बिधाता
हम पर कुछ फर्क नहि पड़ता
चाहे कोई नेता कुछ भी कंह जाता
हमें पढ़ना लिखना आता
हमें कोई बेवकूफ बना नही सकता
हम है देश के इतिहास के ज्ञाता
मज़हब से न हमारा कोइ नाता
जात पात से न हमारा कोइ वास्ता
हमारा तो है इंसानियत से नाता
जो मज़हब की दीवार खीचना चाहता
उससे हमारा न है कोइ नाता
हमने बनाया है एक अलग रास्ता
जंहा होगा कोइ अलग ही भाग्य-बिधाता
भारत पाक की लड़ाईमे भारत की जीत
पर जो ताली बजाता, फुलझरी चलाता 
वह ही सच्चा हिन्दुस्तानी कहलाता
जिसे भारत माँ का सन्तान होने का गर्ब होता
माँ बहनों की इज्जत के वास्ते
जो अपने आप को न्याछावार कर सकता
वह ही हो सकता है हमारा भाग्य-बिधाता ।


बचपन की.. वह अमीरी.. न जाने.. कहाँ खो गयी?
वरना कभी.. वारिश के पानी में..
हमारे.. भी जहाज़.. चला करते थे !
बचपन की...वह बाहदुरी.. न जाने.. कहाँ खो गयी?
वरना कभी.. छत की मुंडेर पर ..
हमारे.. भी पांव.. चला करते थे !
बचपन की...वह दिलेरी.. न जाने.. कहाँ खो गयी?
वरना कभी.. टिफीन बॉक्स में ..
हमारे.. भी निवाले.. आपस में बटते थे !
बचपन की...वह बात सारी.. न जाने.. कहाँ खो गयी?
वरना कभी.. साथी के दुःख में .. 
हमारे.. भी आंसू.. अपने आप निकलते थे !


आज की पीढ़ी का सवाल का जबाब कौन दे
क्या सिगरेट पीना गुनाह है
क्या शराब पीना गुनाह है या हानिकारक है
अगर है तो रुपहली परदे पर नायक नायिका क्यों सिगरेट पीते है
क्यों उनकी हर पार्टी में शराब पीया जाता है
क्यों आजकल हर पार्टी में कॉकटेल पार्टी होना अनिवार्ज है 
हर बड़े होटलों में वार रूम होते है
क्यों हर पार्टी में शराब की नदी बहती है 
यह बात सही है रुपहली परदे पर चेतावनी दी जाती है
बिज्ञापन में शराब की जगह सोडा लिखा जाता है
इससे क्या फरक पड़ता है
सरकारको अच्छा खासा राजस्व मिलता है
मीडिया वालो को बिज्ञापन से पैसा मिलता है
आज की नई पीढ़ी नायक नायिका की नक़ल करते हैवह तो देखते है
नायक नायिका करोडो कमाते है
नई नई गाडीयो में घूमते है मौज मस्ती से जीते है
क्या उन्हें सिगरेट हानि नहीं पहुँचाता
या शराब हानिकारक नहीं होती
उन्हें कैसे रोका जाए वह तो आदर्श की नक़ल नहीं करते वह देखते है
आदर्शबादी किसी तरह जीवन बिताते है
आजके के जमाने में आदर्श में क्या रखा है
क्या विश्व धूम्रपान निषेध मनाने से फायदा होगा
ट्रैन में सिगरेट पीना कानून जुर्म है
इस जुर्म के लिए पकडे जाने पर जुर्माना होता है
आजतक कितने रूपए सरकारी कोषागार में जमा हुए
जो सिगरेट पीने के आदी है वह टॉयलेट में पीते है
आज की पीढ़ी में भेड़िआ धसान चल रहा है
वह आज समझ नहीं पायेगे आज की पीढ़ी बेपरवाह हो रही है
न उन्हें अपने स्वास्थ की चिंता न परिवार की
सोते हुए को जगाया जा सकता है
जो जाग रहे सोने का बहाना कर रहे है उन्हें कैसे जगाया जाए!!!!!!!!