Tuesday, 5 August 2014



हर कोई दौड़ रहा है
बस, दौड़ रहा है 
कोई दौलत की खातिर, 
कोई शौहरत की खातिर, 
कोई मोहब्बत की खातिर दौड़ रहा है...।
कोई दुकान के लिए 
कोई मकान के लिए 
कोई सामान के लिए दौड़ रहा है...। 
कोई नौकरी पाने के लिए 
कोई छोकरी पाने के लिए 
कोई कुर्सी पाने के लिए दौड़ रहा है...।
कोई फैशन के चक्कर में
कोई टशन के चक्कर में
कोई राशन के चक्कर में दौड़ रहा है...।
कोई शराब की चाहत में
कोई शबाब की चाहत में
कोई कबाब की चाहत में दौड़ रहा है...।
कोई जीतने की हौड़ में
कोई हराने की हौड़ में
कोई गिराने की हौड़ में दौड़ रहा है...।
कोई नोट की लालच में
कोई वोट की लालच में
कोई टिकट की लालच में दौड़ रहा है...।
कोई धर्म के नाम पर
कोई जाति के नाम पर
कोई प्रांत के नाम पर दौड़ रहा है...।
कोई नकल कर के
कोई बिना अकल के
कोई पीछे शकल के दौड़ रहा है...।
बस, दौड़ रहा है
हर कोई दौड़ रहा है.........

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