Saturday, 13 December 2014

फिर एक बार दरवाजे पर इश्क़ को खड़ा पाया बड़ी मासूमियत से दिल में जगह मांगने आया दिल ने झलाते हुए कहा कि आशियाना बहुत हुआ बसाकर तुम्हें दिल में हरबार धोखा मैंने खाया

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